Monday, November 16, 2015

वेद - आर्य और आर्य समाज


वेद
वेद भारतीय संस्कृति के वे ग्रंथ हैं, जिनमें ज्योतिष, संगीत, गणित, विज्ञान, धर्म, औषधि, प्रकृति, खगोल शास्त्र आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान का भण्डार भरा पड़ा है। वेद हमारी भारतीय संस्कृति की रीढ़ है। लेकिन जिस प्रकार किसी भी कार्य में मेहनत लगती है, उसी प्रकार इन रत्नरूपी वेदों का श्रमपूर्वक अध्ययन करके ही इनमें संकलित ज्ञान को मनुष्य प्राप्त कर सकता है। सामान्य भाषा में वेद का अर्थ है-‘ज्ञान’। वेद ज्ञान के वे भण्डार हैं जिनके उचित अध्ययन के लिए मनुष्य यदि उनमें प्रवेश करे तो वह बनकर निकलेगा और स्वयं का तो उद्धार करेगा ही साथ में औरों का भी उद्धार करेगा। 



आर्य 
आर्य शब्द का अर्थ है श्रेष्ठ, अतः आर्य समाज का अर्थ हुआ श्रेष्ठ और प्रगतिशीलों का समाज, जो वेदों के अनुकूल चलने का प्रयास करते हैं। दूसरों को उस पर चलने को प्रेरित करते हैं। 
आर्य किसी जाति या धर्म का नाम न होकर इसका अर्थ सिर्फ श्रेष्ठ ही माना जाता है। अर्थात जो मन, वचन और कर्म से श्रेष्ठ है वही आर्य है। आर्य का मतलब श्रेष्ठ, संस्कारी, सुधारक, असत्य का विरोधी, अत्याचार व् अनाचार का विरोधी, निराकार इश्वर की उपासना एवम सत्य के पुजारी यह सब गुण जिनमे हो उसे आर्य कहते हे | जो मनुष्य वेद विदया ग्रहण कर श्रेष्ठ गुण, कर्म और स्वभाव को धारण करता है, जो परोपकारी, धर्मात्मा और सत्य मार्ग पर चलने वाला प्रत्येक प्राणी के हित के लिए अपने कर्तव्य का पालन करता है, और परमात्मा की उपासना वेदानुसार विधि से करता है। उसे आर्य कहते हैं। इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ श्रेष्ठ समाज का धर्म ही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था।





आर्य समाज 
आर्य समाज कोई नया मत या संप्रदाय नहीं है! ,आर्य समाज संपूर्ण रूप से वैदिक ज्ञान पर आधारित है और वेदानुकूल वैदिक साहित्य और सत्य सनातन वैदिक धर्म को ही सर्वोपरि मानता है | आर्य समाज सोये भारत को ही नहीं सोये विश्व को जगाने वाली महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा आरंभ की गई एक क्रांति है |आर्य समाज भारत की ऋषि परंपरा का संवाहक है | हमारे पूर्वज समस्त ऋषि मुनि, योगी, तपस्वी ,विदुषी, मनीषी,महापुरुष राम ,कृष्ण ,आदि ये सभी भी आर्य थे और यहाँ तक की हमारे सम्पूर्ण इस देश का नाम भी आर्यावर्त था |

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